संजोग
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कितना सुंदर संजोग बना है आज! पितृदिन, योगदिन, संगीतदिन, और सबका प्यारा रविवार... पिता जो हमारे पालनकर्ता हैं, जो हमें योग्य मार्ग दिखाते हैं। जब उनकी उंगली पकड़कर हम पहला कदम रखते हैं, तभी से जीने को एक वजह मिल जाती है। रास्तों को एक दिशा मिल जाती है। और मंजिलों को छूने की चाह। उस नन्ही-सी जान को दुनिया देखने की उतसुकता और अपने पैरो से चलकर रास्ते में उत्साह और उमंग भरना, तो पिता ने ही सिखाया है। उस पिता को वंदन! जैसे पिता के लिए उनके जीवन का महत्वूर्ण अंग वह नन्ही सी जान होती है, जिसके उज्ज्वल भविष्य की चिंता हर दम हर पल पिता को सताए रहती है। और हमें उन चिंताओं से दूर रखने के लिए पिता हमें योग शिक्षा देते है, जिससे कि हम स्वस्थ,निरोगी और एक सुंदर जीवन व्यतीत कर पाए। योग हम सभी को अपनाकर खुशहाली की और ले जाता है, वैसे ही हमे योग को अपना कर अपने जीवन के हरियाली की ओर अग्रसर होना चाहिए। हमें योग अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए। उन रोगों के अन्धकार में रहने से अच्छा है कि, योग करें और उजालों से अपने जीवन को प्रभावित रखे। अब जब हम नियमित योग करने की ठान ही लेने वाल...