ख्वाहिश

ख्वाहिशों को करने पूरा,

गुजार दी हमने जिंदगी पूरी। 

माना भूल गए हम ये की,

उसकी भी कुछ अभिलाषा है।। 


हमारी चाहतों की सूची ने,

ढला दिया सूरज को जाने किस पार। 

चाँद भी आज खो गया है,

तारे गिन के सों हजार।। 


इनके दुनिया में अजीब सी आहट हैं,

पता नहीं, आज किस शैतान की दावत है। 

रोज ले आते है, मेरे लिए ढेरों चुनौतिया,

पता नहीं मे कब तक उन्हे सुलझा सकू।। 


रोज रोज के नए उतार चढ़ाव से,

थक गई है आज मेरी जमीर। 

काश ये इंसान अपने मतलब से ज्यादा,

रखते कभी मेरा भी खयाल।।


तो आज न होती यूं मायूस मैं,

न होती यूं उलझनों में मैं। 

बस होती समलयीन श्रुति,

और होती हमारी ख्वाहिशें पूरी।। 


Comments

  1. तुम्हारी ख्वाहीशे हमेशा पुरी हो!!👍👌🌹

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Kamiyabi ki kitab

The drighter life

The fierce felines